हम बढे सबको बढ़ाएं , एसा दृढ़ विशवास हो | .......... ज्ञान ...
जन्म भूमि के लिए हम , कुछ तो ऐसा कर चलें |
शारदे के कमल रज में, जी चलें या मर चलें |
खुद बढ़ें सबको बढ़ाएं , एसा साथी साथ हो | .......... ज्ञान ...
समय कैसे बीत जाये, कुछ समाज न आयेगा |
पायेगा ना कुछ ओ राही, बाद में पचातायेगा |
ज्ञान का दीपक जला तुं, जग में तेरा नाम हो | ........ ज्ञान ...
मन में हो जो इच्छा शक्ति, वो सफल हो जाएगा |
असमर्थ हो कोई कितना, मेरु पर चढ़ जाएगा |
सृजन कर सबको पढ़ा दे , ज्ञान ज्योति मसाल को ...... ज्ञान ...
-नेमसिंह कौशिक
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